आज हम हिंदू सनातनी करीब भारत की कुल जनसंख्या का 80 प्रतिशत हैंजो जनसंख्या अनुसार लगभग 120 करोड़ के करीब है जो दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी धार्मिक ताकत है जिस दिन हम लोगो ने अपनी धार्मिक शक्ति को पहचान लिया, इसे संगठित करने में कामयाब हो गए, जिस दिन हम इस देश की ही नहीं पूरे विश्व कीसबसे बड़ी ताकत के रूप में सामने आएंगे ।
आज तक इसे नजरअंदाजकिया जाता रहा, मगर क्या वाकई में हम संगठित हैं? आपका उत्तर सही है - हम इकलौता ऐसा समाज हैं, धर्म हैं जो अपने विभाजित होने पर गर्व महसूस करता है। हमें अपनों से लड़ने का जुनून है, जो एक सुनियोजित षड्यंत्र है कि हम हिंदुओं को किसी न किसी तरीके से संगठित ना होने दिया जाए हमें भाषा के नाम पर, प्रांत के नाम पर हरदम विभाजित करके रखा गया है। हमारे मन मस्तिष्क में अपनों के प्रति नफरत पैदा करने जैसी परिस्थितियां निर्माण की गईजिसको विविधता कहता है। जबकि ऐसा नहीं है - हमे योजनापूर्वक सुनियोजित ढंग से बांटा गया । ताकि हमारे व्यवसाय, हमारी संस्कृति, हमारी नौकरियों, हमारे आय के स्त्रोतों पर दूसरे धर्म के लोगों का अधिपत्य कायम किया गया और हम खुशी- खुशी बंटते चले गए बिल्कुल चुपचाप। धर्मांतरण के नाम पर हमारे हिंदू धर्म के लोगों को भ्रमित कर दूसरे धर्म को खड़ा किया जा रहा है हमारे ही धर्म के लोगों को लालच एवं नफरत दे कर धर्म परिवर्तन जैसे जघन्य देशद्रोह का अपराध किया जा रहा है और हमारे ही धर्म के कुछ जयचंद लोग इस आग में घी डालने का काम कर रहे हैं। अन्य धर्मों को मजबूत किया जा रहा हैजिसका खामियाजा हमारी पिछली सैकड़ों पीढ़ियों ने उठाया है। हमारी बहन, बेटियां हजारों बार हमारे सामने बर्बाद हुई, उनके साथ मुगलिया समाज जिसे हम अल्पसंख्यक समझकर आज तक ढोते आए हैं, उसे संगठित करने में अपना तन, मन, धन सब न्योछावर कर रहे हैं । इसका कारण एक ही रहा हमारा बंटा हुआ समाज , धर्म, जाति , प्रांत, भाषा के नाम पर हमारी सोच को हमारे अपने भाइयों के बीच नफरत फैलाकर अलग करवा देनाऔर मुगलिया धर्म के कठमुल्लों को संगठित एवं समृद्ध करने के लिए गंगा-जमुनी तहजीब , भाई भाई का नारा देना ।
जिसे हमने बिना किसी विरोध के आसानी से अपना भी लिया । अपने सगे हिंदू भाइयों को मनुवाद के छलावे में आकर खुद से अलग कर दिया और राम - रहीम का नारा गढ़ने लगे । इस देश धर्म को आज तक जितना नुकसान जितनी क्षति मुगलिया समुदाय ने पहुचाई है उतनी किसी दूसरे आताताई ने नही पहुंचाई। आताताई ने नही पहुंचाई। बड़ी ही चतुराई से ये समाज दीमक की तरह हमारे धर्म को हमारे देश को , इसके मंदिर , धार्मिक संस्कृति इसकी सभ्यता सब कुछ खा गए और उसके बाद भी उससे भी बड़ा दंश इस मुगलिया समाज के नाम पर हमने झेला - अपने घर अपने देश का बंटवारा , लगा की अब शायद ये दीमक यहां से चली जाएगी, ये गंदगी साफ हो जाएगी। मगर देश बांटने के बावजूद भी यह रोग यह पीड़ा यही रह गए । वो भी किसी देश के नागरिक की तरह नहीं बल्कि आस्तीन के सांप बनकर । जो हर मौके पर हर बीतते वक्त के साथ सिर्फ और सिर्फ देश के लिए बोझ और दुश्मन ही साबित हुए ।
ये महमूद गजनवी और खिलजी की औलाद ऐसे ही नही कहते खुदको। आज भी इनमे तिरंगे से कहीं अधिक प्रेम अपने मुगलिया बाप - दादाओं से है। जिन्होंने इन्हे इस देश से गद्दारी करते रहने का जिम्मा दिया था। वो काम ये लोग आज भी बखूबी कर रहे हैं। हम हिंदुओं एवं सनातनीयों संगठित एवं एकमत होकर कार्य करने का संकल्प करना होगा कि कोई भी देश सिर्फ अस्त्र और शस्त्र की ताकत से ही मजबूत नहीं होता जब तक उस देश का धर्म मजबूत ना हो हमने अपनी संस्था के माध्यम से अपने देश एवं अपने धर्म को मजबूत बनाने का प्रयास शुरू किया है जाति , प्रांत, भाषा के भेदभाव को मिटाकर हिंदू समाज के लोगों को धर्म के प्रति आस्था, विश्वास, समर्थन बढ़ाने का काम एवं हिंदुओं को शिक्षित करना एवं स्वावलंबी बनाने हेतु रोजगार की व्यवस्था करना खासकर वैसे हर क्षेत्र में जिस क्षेत्र में मुगलों का एकाधिकार हो गया है उनके कार्य से हमारा धर्म भी अतिक्रमित्र हो रहा है। हिंदू - दलित भाइयों के मन से जातिवाद की नफरत खत्म करके धर्म के प्रति आस्था पैदा करने का काम एवं उनको स्वावलंबी, संभाल एवं समृद्ध बनाने का हर प्रयास और सहयोग करने जैसी हिंदू कम्युनिटी कल्चर की नीति बनाई गई है हिंदू नेटवर्क के तहत 120 करोड़ की जनसंख्या की शक्ति के भरोसे एवं उनके सहयोग से देश ,धर्म एवं हिंदू समाज के लोगों के विकास के लिए एक बहुत ही व्यपक नीति के साथ यह संस्था हिंदुओं के बीच कार्य करने के लिए उतरी है।
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